Sunday, January 8, 2012

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा

Friday, January 6, 2012

आंखे रो रही थी पर होठो को मुस्कुराना पड़ा,
दिल में था दर्द पर खुश हु जाताना पड़ा.
जिन्हें हम बता देना चाहते थे सब कुछ,
बारिस का पानी कह आंसुओ को छुपाना पड़ा.
ये तकदीर बदल देंगे मेरे पुख्ता इरादे,
मेरी किस्मत मोहताज़ नहीं हाथों की लकीरों की....
 

Tuesday, January 3, 2012

लो आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ऐ-उम्मीद,
लो अब कभी गिला ना करेंगे किसी से हम।
सब पूछते हैं मुझ से इस दर्द का सबब,
तू बता किस अंदाज से तेरा नाम बयां करुं।
ये किस्से हैं ना रांझे के, न फरहाद की बातें,
ये बातें हैं हमारी बातें - तुम्हारी बातें।
यूँ ही कम है ज़िंदगी मोहब्बत के लिए ,
रूठ कर वक्त गवाने की ज़रुरत क्या है

Monday, January 2, 2012

आती है तेरे खतों से खुशबु अब तलक भी,
ये और बात है अब हमको तेरी याद नहीं आती।