Wednesday, December 8, 2010

जब गयी रात तेरी याद आयी

जब गयी रात तेरी याद आयी, सौ तरह से जी को बहलाया,
कभी अपने ही दिल से बातें कीं, कभी तेरी याद को समझाया,

जब पहले-पहल तुझे देखा था, दिल कितने ज़ोर से धडका था,
वो लहर ना दिल में फिर जागी, वह वक़्त ना लौट के फिर आया....

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नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही
मुझको मोहब्बत है' तुम से ही

नाज़ है तुम्हें' थोड़ा ग़ुरूर मुझे
मैंने दिल लगाया है' तुम से ही

आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे' तुम से ही

आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच
ज़रूर कल मिलेंगे' तुम से ही
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